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‘‘लोकतंत्र है बन गया, लूटतंत्र अब यार, जनता भ्रष्टाचार को, कहती शिष्टाचार।’’ उ.प्र. में लोकतंत्र का पर्व अपनी ऊँचाईयों पर है। नेता सभाओं में भ्रष्टाचार एवं विकास की लम्बी-चैड़ी बातें कर जनता को वायदों का लाॅलीपाॅप थमा रहे हैं। वहीं चुनावी आचार संहिता के नाम पर नेताओं पर अफसरशाही का डंडा चल रहा है तो कहीं चैकिंग के नाम पर हर जगह लूट तंत्र दिखाई दे रहा है। जिधर देखो लूट का खेल बेखौफ खेला जा रहा है। प्रत्याशी मीडिया के हाथों लुटते नजर आ रहे हैं तो जनता अफसर और पुलिस के आगे लुटने पर मजबूर नजर आ रही है। नेता चुनावों में व्यस्त हैं तो जनता अफसरशाही के सामने पस्त नजर आ रही है।
चुनाव आचार संहिता की घोषणा से चन्द घण्टे पहले मांट तहसील दिवस में राशन घोटाले की महिलाओं और ग्रामीणों के साथ शिकायत करने आये नौहझील ग्राम पंचायत सदस्य शब्बीर खान को अफसरों ने यह कहते हुए पुलिस हिरासत में दे दिया कि नेतागिरी करेगा तो चुनाव आचार संहिता के चलते तीन माह तक जमानत नहीं होगी। हालांकि बाद में जनता के हंगामे के बाद उसे रिहा कर दिया गया। लेकिन राशन विक्रेता के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। चुनावों को सम्पन्न कराने के लिये बाहर से आने वाले सुरक्षाकर्मियों को ठहराने के लिये प्रशासन द्वारा काॅलेज संचालकों की बैठक बुलाई गई। जिसमें एक वयोवृद्ध प्रमुख साहित्यकार एवं समाजसेवी ने बच्चों की पढ़ाई एवं गंदगी का हवाला दिया तो अफसर ने कहा कि तुम्हारे यहां फायर सर्विस के अधिकारी भेजकर कार्यवाही करूंगा तथा अन्य आपत्तिजनक भाषा का भी प्रयोग किया गया और अन्य काॅलेजों को छोड़कर उनके काॅलेज का अधिग्रहण कर लिया गया।
पिछले दिनों ही कस्बा नौहझील में एक सामान्य आदमी ने अपने घरेलू विद्युत कनैक्शन पर अपनी दुकान में बल्ब जलाने पर विद्युत टीम ने छापा मारकर चुनाव आचार संहिता का हवाला देते हुए रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी दी और 25 हजार की रिश्वत वसूल ली। विद्युत विभाग का दूसरा मामला हाइवे स्थित पुष्प विहार फेस-2 कालोनी का है जहां गरीब महिला सावित्री देवी पत्नी प्रफुल्ल कुमार से डेढ़ वर्ष पूर्व विद्युत कनेक्शन के नाम पर 7 हजार रूपये वसूल कर रसीद दे दी गई साथ ही मीटर लगा दिया गया। लेकिन विभाग द्वारा बिल जारी नहीं किये गये। शनिवार को विद्युत विभाग की टीम ने छापा मारा जहां अन्य लोगों से लाखों की वसूली की गई। जबकि अवैध वसूली से इंकार करने पर गरीब महिला और उसके परिवार को जेल भेजने की धमकी देकर लाइट काट दी गई। इसी तरह हाथरस जनपद के बिसावर कस्बे से गिलहट की तोड़िया का कारोबार करने आये दो अलग-अलग व्यापारियों की गाड़ियों को मथुरा में चैकिंग टीम ने पकड़ लिया और आचार संहिता का हवाला देते हुए नगदी तथा माल को जब्त करने की धमकी देने पर एक व्यापारी से 50 हजार दूसरे से 35 हजार की रकम वसूल कर दोनों को छोड़ दिया गया।
आचार संहिता का किस तरह पालन हो रहा है इसका नजारा सुरीर क्षेत्र में देखने को मिला जहां पशु पैंठों में व्यापार करने जा रहे व्यापारियों के वाहन को रोक लिया गया जहां चैकिंग के नाम पर व्यापारियों की तलाशी लेने पर अलग-अलग बरामद राशि को एक ही व्यापारी की दर्शा कर जब्त कर लिया गया। वहीं पशु वाहन, अवैध बालू खनन, पशु तस्करों, शराब तस्करों से कानून व्यवस्था के लिये दी गई यूपी 100 नम्बर की गाड़ियों खुलेआम वसूली करती हुई जगह-जगह देखी जा सकती हैं। इसी तरह फरह क्षेत्र के कुरकंदा के समीप सिलेंडरों से गैस अदला-बदली की शिकायत करने पर यूपी 100 न. डायल की टीम ने गैस चोर गैंग को पकड़ लिया जिन्हें बाद में मोटी रकम लेकर छोड़ दिया गया। चेतक मोबाइल बाइकों को गांव की गलियों से लेकर शहर के मार्गों पर खुलेआम वसूली करते हुए कहीं भी देखा जा सकता है। जबकि विकास कार्यों में भी जमकर घटिया सामिग्री का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है वहीं गरीबों के राशन की कालाबाजारी भी चरम सीमा पर पहुंच गई है। लेकिन इस ओर से प्रशासन आंखें मूदे हुए है। जबकि व्यापारियों पर आचार संहिता के नाम पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। जिससे पहले व्यापारी नोटबंदी से त्रस्त था अब लोकतंत्र के इस पर्व पर चैकिंग दस्तों के प्रकोप से त्राहि-त्राहि कर रहा है।
प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा/व्यापरी नेता रविकान्त गर्ग कहते हैं कि स्थान-स्थान पर पुलिस एवं प्रशासन द्वारा आचार संहिता के नाम पर ली जा रही तलाशी अभियान में अपने दैनिक कार्यों एवं व्यापार आदि के संदर्भ में ले जा रही नकदी, रकम एवं वस्तुओं के पकड़े जाने को शांतिपूर्ण, भयमुक्त, निष्पक्ष निर्वाचन प्रक्रिया के सर्वथा विपरीत है और यह प्रशासन की हठधर्मिता एवं निष्पक्ष, निर्भीक निर्वाचन प्रक्रिया का उल्लंघन है। श्री गर्ग कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दि. 30.11.2012 विशेष पिटीशन याचिका न-20906/2012 में निर्वाचन आयोग द्वारा 50 हजार रु की सीमा का उल्लेख किया गया है। इसमें पूर्ण रूप से स्पष्ट किया गया है कि ऐसी चेकिंग के दौरान चुनाव लड़ रहे अभ्यर्थी, उनके एजेंट, उनके नाम पर चल रहे प्रचार वाहन आदि में बैठे लोगों पर अथवा चुनाव प्रभावित करने के लिए धनराशि या उपहार बांटने की सूचना पर तलाशी के दौरान बड़ी धनराशि अथवा उपहार सामग्री पाई जाती है तो उसे जब्त करके कानूनी कार्यवाही की जाएगी। लेकिन प्रशासन आम जनता को बिना वजह परेशान करने की गर्ज से सभी की तलाशी लेने, घरेलू खर्चों या दैनिक कार्यों अथवा व्यापार के संदर्भ में धनराशि अथवा सामान ले जाने को अपराध मानकर अपराध पंजीकृत करना पूर्णतया अव्यवहारिक, अंसवैधानिक एवं अन्याय संगत है। उन्होंने इस सम्बंध में केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक सहित प्रशासन से शिकायत दर्ज कराई है।
एक तरफ पग-पग पर व्यापारियों एवं आम जनता को लोकतंत्र के पर्व पर चैकिंग के दौर से गुजरना पड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ प्रशासन के संरक्षण में हरियाणा से तस्करों द्वारा शराब तस्करी का खेल खुलकर खेला जा रहा है। जिन पर चैकिंग दस्तों का खौफ दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। प्रत्याशियों तक सस्ती दर पर शराब की आपूर्ति की जा रही है जो मतदाताओं के बीच बांटी जा रही है। हालांकि कई स्थानों पर शराब के लिये नगदी दिये जाने की जानकारी मिल रही है। दूसरी तरफ बालू खनन का अवैध कारोबार भी बेरोक-टोक चल रहा है जो चुनाव आचार संहिता का पालन कराने वाले अफसरांे को कहीं नजर नजर नहीं आ रहा है। चुनाव प्रचार में जुटे एक प्रत्याशी के मीडिया प्रभारी का कहना है कि प्रशासन प्रत्याशियों पर तो अपना डण्डा चला रहा है लेकिन मीडिया के नाम पर खामोशी ओढ़े हुए है जहां एक-एक प्रत्याशी से 8-8 लाख तक की वसूली कर उनकी पेड न्यूज छापी जा रही है। जो प्रत्याशी पैसा देने में असमर्थ है उसके जन सम्पर्क की एक लाइन भी नहीं छापी जा रही है। लेकिन अफसरों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
राष्ट्रीय लोकराज पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक मनोज चैधरी का कहना है कि चुनाव आयोग के सख्त निर्देशों के बावजूद भी पेड न्यूज पर अंकुश लगाने में प्रशासन विफल साबित हो रहा है। इस सम्बंध में प्रशासन से मीडिया के पक्षपात पूर्ण रवैये की शिकायत दर्ज कराने पर नोटिस तो दिये गये हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जिससे सामान्य प्रत्याशी का चुनाव प्रभावित हो रहा है। और चुनावी आचार संहिता की धज्जियां उड़ रही हैं। इसकी शिकायत पार्टी चुनाव आयोग में कर रही है।
चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ने का मामला आगरा में आयोजित रोड़ शो की एक समाचार पत्र की खबर से देखा जा सकता है। जहां उसे डेढ़ पेज पर स्थान दिया गया। मीडिया से जुड़े सूत्र का कहना है कि मीडिया संस्थानों द्वारा ऊपर लेवल से ही राजनैतिक पार्टियों से सौदेबाजी की जा रही है और अधीनस्थों को गाइड लाइन दी जा रही है कि किसको कितनी जगह देनी है। स्थानीय मीडियाकर्मी बंधुआ मजदूर मात्र बनकर रह गये हैं। जो राजनैतिक नेताओं और मीडिया संस्थानों के इशारे पर नाचने पर मजबूर हैं। चुनाव आयोग एवं प्रशासन निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने का चाहे कुछ भी दावा करे लेकिन लोकतंत्र के इस पर्व पर लूटतंत्र हावी है।
– मफतलाल अग्रवाल
(लेखक वरिष्ट पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं।)
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