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आज-कल सेल्फी युवाओं की मौत का सबब बनती जा रही है। महाराष्ट्र के नागपुर में एक बार फिर सेल्फी की चाहत ने आठ युवा दोस्तों की जान लेकर उनके परिवार में ऐसा अंधकार कर दिया कि अब वहां उजाले की किरणें शायद कभी नजर नहीं आएंगी। लोग कहीं घूमने जाएं या फिर रेस्तरां में खाना खाने बैठें, सेल्फी लेना नहीं भूलते। फिर चाहे उस तस्वीर को दोबारा जिंदगी में कभी देखें भी नहीं। खासकर युवाओं के स्मार्टफोन सेल्फी वाली तस्वीरों से भरे रहते हैं। फोन को हाथ में लेकर कैमरे की ओर मुस्कुराते हुए पोज देते समय किसी के ध्यान में नहीं आता कि यह आखिरी मुस्कराहट भी हो सकती है। दुनिया भर में सेल्फी के चक्कर में 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
फेसबुक, िट्वटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप जैसी सोशल नेटवर्किंग की चकाचौंध ने पूरे विश्व में अपने पैर पसार लिये हैं। सोशल मीडिया एक तरफ युवाओं के लिये वरदान साबित हो रही है, तो दूसरी तरफ अपने को अलग दिखाने की चाहत और जुनून में युवाओं के लिये मौत का सबब बनती जा रही है। शेयर, लाइक, कमेंट की चाहत में युवा सेल्फी लेने के चक्कर में मौत के कुएं में कूदकर अपनी जान गवां रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के आधे-अधूरे आंकड़ों को मानें, तो सेल्फी की चाहत में पूरे विश्व में साल 2014 से सितंबर 2016 के बीच 127 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इसमें अकेले भारत में 76 मौतें हुईं, जो कुल विश्व में हुई मौतों का 60 प्रतिशत से अधिक है। सेल्फी की यह संस्कृति दुनिया भर में तेजी से एक सनक का रूप लेती जा रही है। एक ऐसी सनक जिसके चलते लोग अपनी जान तक गवां रहे हैं।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सेल्फी की इस सनक का असर लोगों के रिश्तों पर भी पड़ रहा है। सेल्फी से जुड़ी मौतों के कुछ प्रकरण इस प्रकार हैं- चलती ट्रेन के सामने सेल्फी लेना, नदी के बीच में नाव पर सेल्फी लेना, पहाड़ी पर सेल्फी लेना और ऊंची इमारत पर चढ़कर सेल्फी लेना इत्यादि। सेल्फी की यह सनक दुनिया भर में तमाम युवाओं को कुण्ठा और हीन भावना का शिकार भी बना रही है।
सेल्फी से होने वाली मौतों में भारत के बाद दूसरा स्थान पाकिस्तान का है। दिल्ली के सरकारी विश्वविद्यालय आईआईआईटी और अमेरिका की कार्नेजिया मेलन यूनिवर्सिटी ने इस बाबत संयुक्त शोध किया। जिसमें खुलासा हुआ कि सेल्फी के चक्कर में अब तक भारत में 76, पाकिस्तान में 09 और अमेरिका में 08 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। वर्ष 2014 में 15 मौतें हुई थीं। साल 2016 में 73 लोगों की मृत्यु सेल्फी के कारण हुई। इनमें में रूस, फिलीपींस और स्पेन के लोग भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार मरने वालों में ज्यादातर ने पहाडि़यों या ज्यादा ऊंचाई वाली लोकेशन पर चढ़कर सेल्फी लेने की कोशिश की थी। इस प्रयास में वो पांव फिसलने से नीचे गिर गए। उनकी तुरंत मौत हुई। ये सभी लोकेशन बेहद आकर्षक थे। इसके अलावा नदी व समुद्र में सेल्फी क्लिक करने से भी जानें गईं। पुरुषों की तुलना में महिलाएं सेल्फी की अधिक दीवानी हैं। हालांकि जिनकी मुत्यु हुई, उनमें पुरुष ज्यादा हैं। सेल्फी से 75.5 फीसदी पुरुषों की मौत हुई, जिनकी उम्र 24 साल से कम थी। ये सभी फेसबुक व ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर तस्वीरें अपोलड करने के लिए सेल्फी खींच रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 में 2400 करोड़ सेल्फी की तस्वीरें गूगल पर अपलोड की गई थीं।
सेल्फी लेने का शौक युवाओं के सिर चढ़ गया है। इसी वजह से बीते दिनों नागपुर में नौका सवार 8 दोस्तों की सेल्फी के चक्कर में मौत हो गई। मोबाइल से खतरनाक स्थानों पर सेल्फी लेने और मोबाइल की लीड कान में लगाकर गाने सुनते हुए रेलवे ट्रैक पार करने में हुई युवाओं की मौत से अन्य युवाओं को सावधान होने और सबक लेने की आवश्यकता है। क्योंकि यह शौक उनकी जान का दुश्मन बनता जा रहा है।
कान में लीड लगाकर गाने सुनते हुए रेलवे ट्रैक पार करने से बीते पांच साल में करीब 14 युवा अपनी जान गवां चुके हैं। जबकि अरावली पहाड़ी में बनी कृत्रिम झीलों में मौजमस्ती के लिए नहाने की वजह से बीते दस साल में करीब चालीस युवा अपनी जान से हाथ धो बैठे। मनोचिकित्सक मोबाइल उपयोग की अधिकता को एक मनोरोग बताते हैं।
मनोचिकित्सक डॉ. टीआर जाजोर बताते हैं कि भले ही सेल्फी अभी तक डब्ल्यूएचओ की आईसीडी में शामिल नहीं है, लेकिन यह एक मनोरोग मान लिया गया है। पहले कुछ लोग अपनी परछाई से डर कर जान गवां बैठते थे, यह भी एक मनोरोग था। इसी प्रकार सबसे अलग दिखने की चाह में खतरनाक स्थानों से सेल्फी लेना भी एक मनोरोग है। अक्सर जब युवक और युवतियां अपने दोस्तों के साथ होते हैं, तो खतरनाक जगहों से सेल्फी लेने का खतरा अधिक मोल लेते हैं। चाहे वह झील हो, पहाड़ हो, नदी हो, झरने हों या फिर कोई ऊंचाई वाली जगह।
अब तक भारत में सेल्फी की चाहत में घटी प्रमुख घटनाओं पर नजर डालें, तो तेलंगाना के वारंगल में अपने दोस्त को बचाने गए 5 छात्र पानी की चपेट में आ गए और उनकी जान चली गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद रेस्क्यू कर रहे गोताखोरों ने सभी 5 छात्रों के शव झील से बाहर निकाले। दरअसल, धर्मसागर झील के पास इंजीनियरिंग की तीसरे वर्ष की पढ़ाई कर रहे छात्रों का समूह घूमने गया था। वहां पहुंचते ही झील में रम्या नाम की एक छात्रा चट्टान पर जाकर सेल्फी लेने लगी, तभी अचानक उसका संतुलन बिगड़ गया और वह झील में डूबने लगी। इसे देख उसके 5 दोस्तों ने पानी में छलांग लगा दी, लेकिन पानी के तेज बहाव के चलते सभी 5 छात्रों की मौत हो गई, हालांकि रम्या को सुरक्षित बचा लिया गया।
इसी तरह दर्जनों ऐसी घटनाएं है जब चलती ट्रेन के आगे, बाइक पर, समुद्र की तेज लहरों आदि स्थानों पर सेल्फी लेने के चक्कर में कई लोगों ने अपनी जान गवां दी। उन्हें बचाने के प्रयास में माता-पिता या दोस्तों की भी मौत हो गई। यही सिलसिला आज नागपुर की घटना के रूप में सामने आया है। युवाओं से यही अपेक्षा है कि वे सेल्फी की चाहत में अपनी जिंदगी को दांव पर ना लगाएं।
सेल्फी लेते समय रखें ये सावधानी
– खतरनाक स्थानों पर सेल्फी लेने का जोखिम न उठाएं।
– झील, स्वीमिंग पूल, पहाड़, ट्रेन, चलती बस, कार, जहाज, ऊंची बिल्डिंग, रफ्तार जैसे खतरनाक स्थानों से बचें।
– दोस्तों के बीच अव्वल दिखाने की होड़ न करें।
– चिकित्सकों के मुताबिक अधिक सेल्फी लेने से चेहरे पर छुर्रियां जल्दी आती हैं।
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